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चिल्ड्रंस डे विशेष : रीवा के दो लिटिल कम्प्यूटर ब्याॅय की कहानी जिन्होंने 2 साल की उम्र में लंदन की वर्ल्ड बुक ऑफ रिकाॅर्ड दर्ज कराया अपना नाम…

इनके नाॅलेज को देखकर आप भी नहीं कर पाएंगे यकीन, देश दुनिया में है इनके मास्टर दिमाग की चर्चा
तेज खबर 24 रीवा।
14 नवम्बर का दिन बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है, आज का दिन बच्चों के नाम होता है। आज इस विशेष दिन पर हम मध्यप्रदेश के रीवा जिले में रहने वाले दो ऐसे बच्चों की कहानी बताने जा रहे है जिन्हें कम्प्यूटर ब्याॅय कहा जाता है। इन बच्चों की उम्र महज 2 साल है लेकिन इनकी में मोमोरी किसी कम्प्यूटर से कम नहीं है। इन बच्चों को देखकर आप जरा भी यकीन नहीं कर पाएंगे लेकिन जब इनके दिमाग को राष्ट्रीय स्तर पर जांचा और परखा गया तो वह भी हैरत में रह गए और इन बच्चों ने अपने टैलेंट की बदौलत लंदन की वल्र्ड बुक ऑफ रिकाॅर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है।


दरअसल जिन बच्चों की हम बात कर रहे है उनमें एक है सशस्वी मिश्रा तो दूसरे है अविराज तिवारी। इन दोनों ही बच्चों की उम्र महज 2 साल है जिनमें सशस्वी दुनिया के सभी देशों का झंडा पहचान कर देशों के नाम बता देते है तो वहीं अविराज देश और दुनिया का नक्शा देखकर उसका नाम और राजधानी का नाम बता देते है। इन दोनों ही बच्चों के नाॅलेज की राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा ली जा चुकी है जिसमें खरे उतरने पर उनके नाम ऑफ रिकाॅर्ड रिकार्ड में दर्ज हुआ है।


जानिए कौन है 2 साल वर्ल्ड बुक आफ रिकार्डधारी अविराज
मूलतः रीवा जिले के मनगवां तहसील अंतर्गत ग्राम तिवनी में रहने वाले रामकृष्ण तिवारी जो इंडियन एयरफोर्स के आफीसर है। रामकृष्ण तिवारी के पुत्र अविराज तिवारी कहनें को तो 2 साल के है लेकिन वह अपने दिमाग से बड़े बड़ों को मात देते है। कहते है कि अविराज जिसे एक बार देख लेते है उसे कभी नहीं भूलते, बच्चे का यह टेलेंट माता पिता को कुछ दिनों बात चला। बताते है कि अविराज देश के किसी भी राज्य का नक्शा देखने के बाद उसका नाम बता देते है। इतना ही नहीं अविराज इंडियन एयरफोर्स के किसी भी विमान को देखकर उसका भी नाम बता दें है। अविराज के इस टेलेंट को लंदन की वर्ल्ड बुक आफ रिकार्ड संस्था ने परखा जिसके बाद हाल ही में उनका नाम दुनिया की इस किताब में दर्ज किया गया है।


रीवा का दूसरा कम्प्यूटर ब्याॅय यशस्वी मिश्रा
रीवा जिले के दूसरे कम्प्यूटर ब्याॅय की बात करे तो वह नाम है यशस्वी मिश्रा का। यश्स्वी मूलतः गुढ़ तहसील के ग्राम अमिलिहा निवासी संजय मिश्रा के सुपुत्र है। यशस्वी दुनिया के सभी 195 देशों के झंडे देखकर उन्हंे तुरंत पहचान लेते है और उस देश का नाम बता देते है। यशस्वी को इस टेलेंट की बदौलत महज 2 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्तर के 3 पुरष्कार मिल चुके है जिनमें लंदन की संस्था का वर्ल्ड बुक ऑफ रिकाॅर्ड, हार्वर्ड वर्ल्ड रिकाॅर्ड और इंटरनेशल बुक ऑफ रिकाॅर्ड शमिल है। सशस्वी फिलहाल इन दिनों सामान्य ज्ञान से जुड़ी नाॅलेज अपडेट कर रहे है।

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