8 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला, 47 आरोपियों में 2 बरी, 1 की मौत और 4 नाबालिग बचे हुये 40 को हुई सजा
तेज खबर 24 मध्यप्रदेश न्यूज़।
मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में बहुचर्चित सुशील पुंडगे हत्याकांड के बाद लगे कर्फ्यू में पुलिस को घेरकर हमला करने के मामले में खंडवा कोर्ट ने बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुना दिया। कोर्ट ने 8 साल बाद मंगलवार को 40 आरोपियों को 7.7 साल जेल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने सभी पर 6500 रुपए का जुर्माना भी लगाया। घटना खंडवा शहर के घासपुरा स्थित बांग्लादेश में हुई थी। केस में कुल 47 आरोपी थे। इनमें फिरोज और सद्दाम नाम के दो लोग बरी हो गए थे जबकि एक की मौत हो गई तथा चार नाबालिग थे। फैसले के दौरान कोर्ट परिसर में भारी पुलिस फोर्स तैनात रहा। कोर्ट के बाहर भी लोग इस फैसले का इंतजार कर रहे थे।
दरअसल मामला 8 वर्ष पूर्व 30 जुलाई 2014 का है जहां मुस्लिम समाज के धार्मिक स्थल को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट से विवाद बढ़ने पर शहर में कर्फ्यू लगा था और 30 जुलाई को ही एक बीमा कंपनी के एजेंट सुशील पुंडगे की हत्या से विवाद और बढ़ गया। मुस्लिम बहुल इलाके से जब बाइक सवार पुंडगे गुजर रहे थे तो उनके माथे पर तिलक देख लोगों ने धारदार हथियार से मौत के घाट उतार दिया।
इस हत्याकांड के बाद से शहर में तनाव फैल गया था और जगह जगह पथराव की घटना हुई थी जिस दौरान पुलिस पर भी हमला हुआ था यहां फोर्स के पहुंचने पर उपद्रवियों ने जमकर पथराव किया जिसमें 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इस पूरे मामले में शासन की तरफ से 47 लोगांे को आरोपी बनाया गया था जिनमें से कुछ पर पुलिस की वर्दी में घटना करने का आरोप था। फिलहाल 8 साल बाद इस मामले का फैसला आया है और न्यायाधीश प्राची पटेल की कोर्ट ने 40 आरोपियों को 7.7 साल की सजा सुनाई है जबकि 2 को बरी कर दिया वहीं एक आरोपी म्रत होना बताया गया।
इधर अधिवक्ता ने मामले में निर्दोषों को भी सजा मिलने की बात कही है। अधिवक्ता मुकेश नागौरी का कहना है किए 1 अगस्त 2014 को हुए घटनाक्रम के बाद पुलिस ने 47 लोगों पर मारपीटए हत्या के प्रयास संबंधी कई धाराओं में अपराध दर्ज किया था। इस केस में कई निर्दोष लोगों को आरोपी बना दिया गयाए जो कि घटना में शामिल नहीं थे। हमारे जितने भी पक्षकार हैए उनमें कोई मिस्त्री है तो कोई हाथ ठेले पर सब्जीए फल.फ्रूट बेचने वाले। कोर्ट में सुनवाई के दौरान पहचान परेड तक नहीं हुई। सिर्फ पुलिसकर्मी ही गवाह रहे। अन्य कोई गवाह नहीं था। इस फैसले को हम हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।
इन्हें सुनाई गयी सजा….
कलीम पिता मेहबूब मुसा उम्र 25, जुनेद पिता रहीम खान, हाफीज पिता हबीब उम्र 40, मो. उमर पिता मो यूसूफ उम्र 35, मो. रज्जाक पिता चांद शेख , इरफान पिता शौकत उम्र 39, जावेद पिता सलीम उम्र 30, शब्बीर पिता अब्बार उम्र 35, जहूर पिता बाबू उम्र 38, शब्बीर पिता सतार उम्र 70, सलाउद्दीन पिता शेख अहमद उम्र 51, मो. अली पिता शेख मोहसीन उम्र 30, मजीद खान पिता शेर खांन उम्र 40, सलामउद्दीन पिता हाजी समसुददीन उम्र 70, शाहरूख पिता रमजान उम्र 16, फिरोज पिता मोहम्मद उम्र 32, शेख सलीम पिता शेख रफीक उम्र 28, आरिफ पिता रसीद उम्र 30, शेख युसूफ पिता शेख नासीर उम्र 56, ईसाक पिता कय्यूम उम्र 40, सरवर पिता वहीद उम्र 18, शेख जाकीर पिता शेख अहमद उम्र 66, शाकीर पिता हनीफ उम्र 28, अब्दुल रहीम पिता अब्दुल वहीद उम्र 1, मोहम्मद एजाज पिता शेख निसार उम्र 34, मोहम्मद इरसाद पिता मोह अमीन उम्र 28, वसीम पिता रजाक उम्र 24, कलीम पिता मेहबूब उम्र 28, शेख जाकीर पिता शख शब्बीर उम्र 35, इस्माईल पिता नत्थू उम्र 45, शाबीर पिता शकील उम्र 18, शाकीर पिता सकील उम्र 19, अजीज पिता शेर खां उम्र 40, मोहम्मद ईशाक पिता नत्थू पिंजारा सभी निवासी बांग्लादेश घासपुरा खंडवा, मुबारिक पिता जलालुददीन उम्र 26 निवासी खटिक मोहल्ला ग्वालियर, इस्ताक पिता मुन्नवर खान उम्र 30 वर्ष निवासी शाहपुरा थाना पोरषा जिला मुरैना, रहीश पिता रसीद उम्र 24 वर्ष निवासी सिरपुर जिला इंदौर, अशरफ पिता हनीफ उम्र 30 वर्ष निवासी बुरहानपुर, मोनू उर्फ सलमान पिता शेख हाफिज उम्र 20 वर्ष निवासी भगतसिंग चौक खंडवा, मोहम्मद अजहर मोहम्मद उस्मान उम्र 46 वर्ष निवासी बांग्लादेश घासपुरा को सजा सुनाई गई।