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शर्मनाक, बेटी की लाश को बाइक पर ले जाने को मजबूर हुआ लाचार पिता, फिर कलेक्टर ने पहुंचाई राहत….

शहडोल जिला अस्पताल में बच्ची की मौत के बाद बेटी की लाश ले जाने पिता को शव वाहन देनें से किया मना….
तेज खबर 24 शहडोल।
मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में प्रशासन की बेरुखी के कारण एक बेबस और लाचार पिता बेटी की लाश को ले जाने लिये 70 किलोमीटर का सफर बाइक से तय करने को मजबूर हो गया। पीड़ित पिता का आरोप है कि जिला अस्पताल प्रबंधन ने 15 किलोमीटर से अधिक दूरी के लिये शव वाहन देने से मना कर दिया जिसके बाद वह बाइक पर ही बेटी का शव ले जाने को मजबूर हो गया और वह बाइक पर शव लेकर निकल ही चुके थे तभी कलेक्टर को इस बात की खबर लगी और उन्होंने तत्काल शव वाहन उपलब्ध कराया जिसके बाद पीड़ित पिता शव वाहन की मदद से बेटी का शव को अपने घर ले गए।


गौरतलब है कि आज भले ही कलेक्टर को जानकारी लगने के बाद शव वाहन को उपलब्ध कराया गया हो लेकिन आदिवासी बाहुल्य शहडोल संभाग में अक्सर इस तरह के नजारे देखने को मिलते है। यहां कभी खाट पर तो कभी रिक्शे पर तो कभी कंधे पर शव को ले जाने के मामले सामने आते रहते है।

दरअसल जिले के बुढ़ार तहसील अंतर्गत ग्राम कोटा निवासी लक्ष्मण सिंह गोंड़ की 13 वर्षीय बेटी माधुरी सिकलसेल नामक बीमारी से ग्रसित थे। परिजनों की मांने तो बच्ची के शरीर में खून की कमी थी जिसे कुशा भाऊ ठाकरे जिला अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया था, जहां उपचार के दौरान बच्ची की मौत हो गई। पीड़ित परिजनों ने बच्ची का शव घर ले जाने के लिये अस्पताल प्रबंधन से शव वाहन की मांग की तो प्रबंधन ने कहा कि 15 किलोमीटर से अधिक दूरी के लिये शव वाहन नहीं मिल पाएगा आप प्राइवेट वाहन कर ले।

पीड़ित परिजन अस्पताल प्रबंधन की इस बेरुखी के बाद बच्ची के शव को लेकर बाइक पर ले जाने को मजबूर हो गए और जब वह शव लेकर जा रहे थे तभी कुछ लोगों ने रास्ते में उन्हें रोक लिया और जानकारी लेने के बाद कलेक्टर को समस्या से अवगत कराया। कलेक्टर ने मामले की जानकारी मिलते ही तत्काल शव वाहन की व्यवस्था कराई जिसके बाद परिजन शव को अपने घर ले गए। इस पुरे मामले में शहड़ोल कलेक्टर वन्दना वैद्य का कहना है कि जनाकारी के अभाव में शव वाहन नही मिल पाया था, जिसे फिर शव वाहन उपलब्ध करा दिया गया।

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