रिपोर्ट, वीरेश सिंह
रीवा से सटे यूपी की सीमा पर स्थित है यह गांव, जिस घर में जितने सांप उस घर का उतना ही बड़ा होता है रुतबा…
तेज खबर 24 रीवा।
कहते हैं सांप की प्रजाति अगर सामने आ जाए तो अच्छे-अच्छो की हालत खराब हो जाती है। खासतौर से अगर सामने काला कोबरा दिख गया तो मानो सांसे ही थम जाएगी, लेकिन मध्य प्रदेश के रीवा जिले और उत्तर प्रदेश की सीमा क्षेत्र पर बसा कपारी गांव के बच्चों के लिए ऐसे जहरीले सांप खिलौने की तरह होते है। यहां के बच्चे काला कोबरा जैसे सांपो से भी पूरे उत्साह के साथ खेलते हैं। सांप और बच्चों की दोस्ती भी निराली होती हैं, ना तो वह सांपों को नुकसान पहुंचाते और ना ही सांप उन्हें। इस गांव को देखकर हर कोई हैरान हो जाता है कि आखिरकार जहरीले सांपों के बीच यहां के रहवासी और बच्चे पूरी निडरता के साथ अपना जीवन यापन कैसे करते हैं।
सपेरा समुदाय का है निवास…
बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के शंकरगढ़ से लगा हुआ कपारी गांव में सपेरा समुदाय के लोग निवास करते हैं और उनके यहां सांपों के लालन-पालन की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। जन्म लेने वाला बच्चा भी सांपों के बीच पलता बढ़ता है। ऐसे में उनकी गहरी दोस्ती बचपन से ही सांपों से हो जाती है। जहां वे कोबरा ही नहीं अन्य सांपों के साथ खेल कर पलते बढ़ते है।
जितना ज्यादा सांप उतना बड़ा रुतबा…
कपारी गांव के लोगों में सांपों के लालन-पालन को लेकर पूरा उत्साह रहता है। खास बात यह है कि जिस घर में जितना ज्यादा सांप होते हैं उतना ही बड़ा उस घर का रुतबा माना जाता है। यही वजह है कि वह तरह तरह के सांप अपने घरों में रखते हैं और उसका लालन-पालन भी करते हैं। बताते हैं कि कपारी गांव के लोग काला कोबरा के साथ ही वाइपर, घोड़ा पछाड़ सहित अन्य प्रजाति के सांपों का भी लालन-पालन घरों में करते हैं।
स्पर्श से होता है एहसास…
कपारी समुदाय के लोगों का कहना है कि सांप स्पर्श से ही समझ जाते हैं कि उन्हें कौन नुकसान नहीं पहुंचाएगा और कौन नुकसान पहुंचा सकता है। उनके गांव के लोग सांपों को कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाते और ना ही उनके गांव के लोगों की सांपों के काटने से मौत हुई है। अगर किसी सांप ने कभी काट लिया है तो इसके लिए जड़ी-बूटी रखते हैं और सांप के बड़े होने पर उनका जहर निकाल देते हैं जिससे उन्हें सांपों से कोई नुकसान नहीं होता है।
जीविका का साधन होते है सांप…
कपारी गांव में रहने वाले सपेरा समुदाय के लोगों के लिए सांप जीविका का साधन होता है. वह आसपास के क्षेत्रों में घूम कर लोगों को सांप का दर्शन करवाते हैं और इससे उन्हें जो कुछ मिलता है वह उनकी जीविका का साधन होता है. हालांकि सपेरा समुदाय के लोगों का कहना है कि अब इस जीविका से जीवन कठिन हो रहा और यहां के लोग भी नए तरीके से जीवन जीने के लिए रोजगार की तलाश में बाहर जाने लगे हैं।