6 माह पुरानी बताई गई घटना, रसूकदारों पर पुलिस नें भी कार्यवाही की खानापूर्ति कर दिखाई थी मेहरबानी…
तेज खबर 24 रीवा।
मध्यप्रदेश के रीवा जिले में शिक्षा विभाग के बीआरसी के साथ सरेराह मारपीट का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ है। यह वीडियो 6 माह पूर्व जिले के चाकघाट थाना क्षेत्र का है जिसमें पीड़ित व्यक्ति त्योथर के तत्कालिक बीआरसी विनोद पाण्डेय बताए जा रहे है। वीडियो में दो शख्स मिलकर शिक्षा विभाग के अधिकारी को रास्ते रोककर उनके साथ ना सिर्फ गाली गलौज कर रहे है बल्कि डंडे से बेरहमी पूर्वक मारपीट भी कर रहे है। हांलाकि इस मामले में पीड़ित बीआरसी की ओर से घटना की शिकायत थाने में दर्ज कराई गई थी लेकिन बताया जाता है कि आरोपी विधायक के करीबी थे जिसके चलते पुलिस भी रसूकदार दबंगों पर मेहरबानी दिखाते हुये मामूली कार्यवाही कर खानापूर्ति पूरी कर दी थी।
जानकारी के मुताबिक उत्तरप्रदेश के प्रयागराज निवासी विनोद पाण्डेय रीवा जिले के शिक्षा विभाग में बीआरसी के पद पर पदस्थ है। 6 माह पूर्व जब उनकी पदस्थापना जिले के ही त्योथर में थी तभी उनके साथ स्थानीय दबंगो द्वारा सरेराह मारपीट की घटना को अंजाम दिया था। यह घटना चाकघाट इलाके में तब हुई जब वह ड्यूटी से घर लौट रहे थे तभी चाकघाट के बसहट में ही दो युवकों ने रास्ते में रोक लिया और गाली गलौज करते हुये उन्हें डंडे से जमकर पीटा। घटना के दौरान एक आरोपी जब मारपीट कर रहा था तो दूसरा घटना का वीडियो अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर रहा था जो अब 6 माह बाद सोशल मीडिया में वायरल हुआ है।
आरोपियों को थी विद्यालय के निरीक्षण पर आपत्ति
बताया जाता है कि मारपीट करने वाले शख्स स्कूलों में स्वसहायता समूह के माध्यम से मध्यांह भोजन का वितरण करते थे और उन्हें बीआरसी द्वारा स्कूलों के निरीक्षण करने पर आपत्ति थी। आरोपियों ने बीआरसी को निरीक्षण करने से मना किया था लेकिन जब नहीं माने तो मारपीट की इस घटना को अंजाम दे डाला।
पुलिस की कार्यवाही पर उठे सवाल
मामले में पीड़ित बीआरसी द्वारा की गई शिकायत पर चाकघाट पुलिस ने मारपीट की मामूली धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की खाना पूर्ति कर दी थी जो कि सवालों के घेरे में है। गौरतलब है कि आरोपी बीआरसी के कार्य में ना सिर्फ बाधा डाल रहे थे बल्कि उन्हें उन्हें शासकीय कार्य से रोका जा रहा था। इतना ही नहीं शिक्षा जैसे विभाग में काम कर रहे शासकीय कर्मचारी को सरेराह बेज्जत कर पीटा गया। इस सब के बावजूद पुलिस का खाना पूर्ति करना कहीं ना कहीं कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है।