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REWA के बहुचर्चित राॅकी कांड में 7 साल बाद पुलिस को क्लीनचिट : पुलिस की मारपीट से नही हार्ट अटैक से हुई थी राॅकी की मौत…

CID की जांच मेें पुलिस पर लगा हत्या का अपराध नहीं हुआ प्रमाणित, सीआईडी नें कोर्ट में पेश किया खात्मा…
तेज खबर 24 रीवा।

रीवा शहर के बहुचर्चित राॅकी कांड में सीआईडी पुलिस नें 7 साल बाद कोर्ट में खात्मा पेश किया है। सीआईडी पुलिस की जांच के दौरान राॅकी की हत्या के तथ्य सामने नहीं आए थे। जांच में पाया गया कि राॅकी की मौत पुलिस की मारपीट से नहीं बल्कि हार्ट अटैक की वजह से हालत बिगड़ने पर हुई थी।


दरअसल यह पूरा मामला साल 2016 का है जिसमें अतीक अहमद उर्फ रॉकी 13 फरवरी 2016 को गुड़हाई बाजार में रहने वाली महिला का घर खाली करवाने के लिए अपने साथियों के साथ गए थे। उन्होंने महिला के साथ मारपीट की और उसका सामान बाहर फेंक दिया। जानकारी मिलते ही सिटी कोतवाली थाने से पुलिस बल मौके पर पहुंच गया जिसने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंशिक बल प्रयोग किया। अतीक के खिलाफ लूट सहित विभिन्न धाराओं का प्रकरण पंजीबद्ध कर उन्हें थाने लाया गया जहां पुलिस अभिरक्षा में उन्होंने सीने में दर्द होने की शिकायत की। तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां देररात उनकी मौत हो गई।

पुलिस अभिरक्षा में रॉकी की मौत की घटना के बाद पूरे शहर में हिंसक बवाल शुरू हो गया। पुलिस की गाडिय़ों को निशाना बनाकर तोडफ़ोड़ और आगजनी की घटनाएं पूरी रात चलती रही। दूसरे दिन छोटी दरगाह के पास शव को रखकर आक्रोशित लोग प्रकरण पंजीबद्ध करने की मांग पर धरना और पथराव कर रहे थे, जिस पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था।

इस घटना के बाद पुलिस ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज किया गया था। इनमें तत्कालीन थाना प्रभारी शैलेंद्र भार्गव के अलावा उपनिरीक्षक श्याम नारायण सिंह, प्रधान आरक्षक महेंद्र पाण्डेय, आरक्षक जय सिंह, एएसआई पारस नाथ दहिया, आरक्षक तनय तिवारी शामिल थे। दो आरोपी जितेंद्र सेन और उपनिरीक्षक रामेंद्र शुक्ला का नाम विवेचना के दौरान हटाया गया था। घटना के समय उनकी उपस्थिति नहीं पाई गई थी। शेष अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ खात्मा रिपोर्ट पेश किया है।

सीआईडी डीएसपी मोहम्मद असलम नें बताया कि वर्ष 2016 में यह घटना हुई थी जिसमें थाना प्रभारी समेत अन्य पुलिसकर्मियों पर हत्या का प्रकरण पंजीबद्ध हुआ था। पूरे मामले की विवेचना सीआईडी द्वारा की गई। जांच में हत्या का अपराध प्रमाणित नहीं हुआ। मारपीट के तथ्य सामने आए थे जिसमें अभियोजन की अनुमति विभाग से नहीं मिली है। फलस्वरुप इस पूरे मामले में खात्मा रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई है।

जानिए क्या है पूरा मामला…
सिटी कोतवाली थाने के गुड़हाई बाजार में पूर्व पार्षद अतीक अहमद उर्फ रॉकी को पुलिस ने एक मकान खाली करवाने के दौरान गिरफ्तार किया था। उनको थाने लाया गया जहां उनकी हालत बिगड़ गई। उन्हें उपचार के लिए पहले जिला अस्पताल ले जाया गया और वहां से संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां देर रात उनकी उपचार के दौरान मौत हो गई। इस मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी शैलेंद्र भार्गव समेत अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या का प्रकरण पंजीबद्ध हुआ था।
इस पूरे मामले की जांच सीआईडी की टीम कर रही थी। 7 साल बाद सीआईडी ने इस मामले में खात्मा रिपोर्ट न्यायालय में पेश किया है। जिसमें बताया कि अतीक अहमद के साथ पुलिस ने जो मारपीट की थी वे चोट साधारण थी और उनकी मौत हृदय गति रुकने से हुई थी। मेडिकोलीगल रिपोर्ट में इस तथ्य का खुलासा हुआ था। जांच में धारा 302 का अपराध प्रमाणित नहीं हुआ बल्कि मारपीट का अपराध 323 294 506 34 का अपराध सिद्ध हुआ है लेकिन मारपीट के मामले में विभाग ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति नहीं दी। अधिकारियों ने तत्कालीन परिस्थितियों और उस दिन हुई घटना को आधार मानकर यह तर्क दिया है कि पुलिसकर्मी पदेन दायित्व का निर्वहन करते हुए बल का प्रयोग किया था जिसे अपराध की श्रेणी में नहीं गिना जा सकता। मारपीट के मामले में भी विभाग की अनुमति नहीं मिलने के बाद सीआईडी ने दोनों मामलों में खात्मा कोर्ट के समक्ष पेश कर दिया है।

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