रहमतों का है रमजान का पहला असरा, जानिए रोजे रखने के क्या है फायदें…
तेज खबर 24 रीवा
रमज़ान इस्लामी कलेण्डर का नौवां महीना है,मुस्लिम समाज इस महीने को पवित्र महीना मानता है, रमज़ान में रोज़ा रखने की बहुत बड़ी अहमियत है, शरीअत में रोज़े रखने का मतलब यह है कि आदमी सुबह सादिक से लेकर सूर्यास्त होने तक इबादत की नियत से खाने.पीने और जिमा करने से रूका रहे। दिल मे रोज़े की नियत करना फर्ज है और ज़बान से करना मुस्तहब है। आज की शेहरी सुबह 04. 31 बजे तक है एवं रोजा अफ्तार शाम 06. 26 बजे होगा। ऑल इण्डिया उम्मत.ए.मोहम्मदिया कमेटी के संस्थापक मो. शुऐब खान, मोहसिन खान एवं मीडिया प्रभारी अजहरूद्दीन खान अज्जू ने जारी विज्ञप्ति मे बताया कि फजीलतों, बरकतों एवं रहमत का महीना रमज़ान का पहला असरा शुरू है जो कि रहमत का है। रमज़ान को तीन हिस्सों मे बांटा गया है, पहला हिस्सा रहमत, दूसरा हिस्सा मगफिरत, और तीसरा हिस्सा जहन्नम से निज़ात का है। रमज़ान के रोजे हर आकिल बालिग, मुसलमान मर्द, औरत पर फर्ज है। रमज़ान के रोज़े सन् 02 हिज़री मे फर्ज किये गये थें, इस महीने में रोज़े रखना, रात मे तरावीह की नमाज़ पढ़ना, कुरआन पाक की तिलावत करना, जकात और सदका अदा करना, बुरे कामों से दूर रहना, नेक अमल करना आदि मुख्य विशेषतायें हैं। इस महीने को माह.ए.सियाम भी कहा जाता है।
रोजे रखने के जिस्मानी फायदे…
मोण् शुऐब खान ने बताया कि रोज़े रखने से बहुत से जिस्मानी फायदे होते हैं, आधुनिक मेडिकल साइन्स के मुताबिक इंसानी जिस्म मे मौजूद बीमारियों के कीटाणुओं के अस्तित्व को नष्ट करने के लिये रोज़ा बेहतरीन इलाज़ है, पेट को बीमारियों का जड़ कहा जाता है, रमज़ान शरीफ मे पूरे एक माह का रोज़ा रखने से इंसान का जिस्म पाक और साफ हो जाता है, उसके उदर मे जमा होने वाली हानिकारक द्रव खुश्क हो जाती है, और इंसान की सेहत और शक्ति मे इज़ाफा हो जाता है। इस्लाम के आखिरी पैगम्बर हज़रत मोहम्मद सल्ललाहो अलैहे वसल्लम का इरशाद है कि भरपेट भोजन बीमारियों की जड़ है, और परहेज सब बिमारियों का इलाज है।
इन वजहो से मकरुह होता है रोजा
अध्यक्ष मकदूम खान रोज़े के मकरूहात के बारे में बताया कि रोजा रहने के दौरान मुंह मे थूक जमा करके निगलना, पीठ पीछे बुराई करना, लड़ना झकड़ना और गाली देना, बिना जरूरत किसी चीज को चबाना, झूठ बोलना, सतरंज, ताशए,जुआं वगैरह खेलना, किसी को बिला वज़ह तकलीफ देना आदिए रोज़े के मुफ्सदात . कुल्ली करते वक्त पानी हलक तक चला जाना, जानबूझ कर मुंह भर कर कय करना, नाक और कान मे दवा या तेल डालना, दांत से निकला खून निगलना जो थूक से ज्यादा हो, सुबह सादिक के बाद सेहरी करना, जानबूझ कर मुबाशरत करना वगैरह।
रमजान में मुल्क की हिफाजत और अमनों अमन की दुआ की अपील…
संयोजक साबिर खान अशरफी ने कहा कि हम तमाम लोगों को चाहिये कि रोज़े का ऐहतराम करें, इस्लाम के बताये हुये रास्ते पर चलें और रोज़े के दौरान किसी को भी कोई तकलीफ न पंहुचायें, इस्लाम एक सादगी पसंद मजहब है। रोज़ा इस्लाम का अहमद बुनियादी स्तम्भ है। तमाम लोगों से अपील की गई है कि रमज़ान के इस मुबारक महीने अपने मुल्क की हिफाजत के लिये विशेष दुआ करने की अपील कमेटी के मो.शुऐब खान, मोहसिन खान, मकदूम खान, मुस्तहाक खान, हसीब खान राज, अजहरूद्दीन खान, साबिर खान, माजिद खान, मो. एहसान, गुलमोहम्मद अंसारी, लईक खान, पेशइमाम जानमोहम्मद खान, वाइज खान, सईद खान, वाशिद खान गोलू आदि ने की है।